चाइना को फुंग फु सीखने वाले एक भारतीय थे | Facts about Bodhi dharma

चाइना को फुंग फु सीखने वाले एक भारतीय थे | Facts about Bodhi dharma




Bodhi dharma

बोधिधर्मन (Bodhi dharma) जिनको कुंग फू का भगवान कहा जाता है| जिन्होंने भारत जैसे देश में जन्म लिया ,और हैरानी की बात यह है कि आज भारत के लोग ही उन्हें नहीं जानते लेकिन चाइना का हर एक इंसान उन्हें जानता है।

भारत और चाइना में एक सर्वे किया गया जिस मैं एक सवाल पूछा गया की बोधी धर्मन कौन थे?

तो 97 प्रतिशत लोग उन्हें नहीं जानते थे |और जब चाइना में ये सवाल किया गया तो 60 प्रतिशत चाइनीस उन्हें जानते थे।
तो चलिए जानते हैं बोधिधर्मन से जुड़ी कुछ खास बातें।


Bodhi dharma

चाइना का शाओलिन टेंपल जहां कुंगफू और मार्शल आर्ट सीखने के लिए लोग कड़ी तपस्या करते

लेकिन इस जगह की एक महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ी है भारत से और चह तो बोधिधर्म जिन्होंने पांचवी सदी में चाइना जाकर वह मार्शल आर्ट की दिशा ही बदल दी |

उन्होंने ही अपने ज्ञान से चीन के लोगों को लड़ने की यह कारगर तकनीक सिखाई. इतना ही नहीं इसके अलावा
| सी चीजों से बोधिधर्म ने ही चीन को रूजरू किया और इसी वजह से चाइना में उन्हें लीजेंड ऑफ छाव भी लीन भी कहा जाता है।

बोधिधर्मन चीन में उपस्तितस्थ एक नानयिन गांव में रहने लगे इस गांव के कुछज्योतिषियों की भविष्यवाणी के अनुसार यहां काफी बड़ा संकट आने वाला था।

बोधिधर्म के यहां पहुंचने पर गांव वालों को लगा मानो जैसे बोधिधर्म ही वह संकट है। ऐसा जानकर उन्हें उस
गांव से निकाल दिया गया। वे गांव के बाहर रहने लगे। उऔर उनके जाते ही गांव वालों को लगा की मनो जैसे
संकट चला गया हो।

लेकिन इन्हें क्या पता था संकट तो एक महामारी के रूप में अभी आने वाला था, और उनके जाते ही मानो वह
आ गया। लोग बीमार पड़ने लगे।


गांव में अफरा-तफरी मच गई। गांव के लोग जो कोई भी बिमार बच्चों या अन्य लोगों को गांव के बाहर छोड़ देते
थे, ताकि किसी और को भी यह रोग न हो।

बोधी धर्मन एक आयुर्वेदाचार्य भी थे, तो उन्होंने ऐसे लोगों सारे लोगो की मदद की तथा उन्हें मौत के मुंह में जाने से बचा लिया।

तब गांव में रह रहे हर एक लोगों को समझ में आया कि यह व्यक्ति हमारे लिए संकट नहीं बल्कि भगवान के रूप में सामने आया है।

तब गांव के लोगों ने सम्मान के साथ उन्हें गांव में शरण दी। बोधी धर्मन ने गांव के समझदार और थोड़े होशियार लोगों को जड़ी-बूटी कुटने और पीसने के काम पर लगा दिया और इस तरह पूरे गांव को उन्होंने इस महामारी से बचा लिया ।

एक संकट खत्म न होता तो मानो गांव पर दूसरा संकट आ गया। लुटेरों की एक टोली ने गांव पर हमला बोल
दिया और वे क्रूर लोगों को मारने लगे। चारों और कत्लेआम मच दिया हो।
गांव वाले समझते थे कि बोधी धर्मन सिर्फ चिकित्सा पद्धत्ति में ही माहिर है लेकिन उन्हे क्या पता था कि बोधी
धर्मन एक कालारिपट्ट विद्या के मास्टर भी है । कालारिपट्ट जिसे लोग आजकल मार्शल आर्ट के नाम से जानते
है।

बोधी धर्मन ने मार्शल आर्ट और सम्मोहन के बल पर उन लुटेरों को हरा दिया और उन्हें वह से भगा दिया।

गांव वालों ने बोधी धर्मन को लुटेरों की उन टोली से अकेले लड़ते हुए देखा औरमनो उन्हें लढता देखकर चौंक
गए।

चीन के लोगों ने युद्ध की आज तक ऐसी आश्वर्यजनक कला मनो पहले कभी न देखी हो। वे समझ गए कि यह
व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। इसके बाद तो मानो बोधी धर्मन का सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया।

कुछ दिनों बाद बोधिधर्मा उस गांव को छोड़कर चीन में नौ वर्ष तक एक गुफा में दिवाल की तरफ मुंह करके बैठे
रहे।

एक दिन किसी ने बोधी धर्मन से पूछा आप हमारी तरफ पीठ करके क्यों बैठे हो? 

बोधी धर्म में कहा जो मेरी आंखों में जो पढ़ने योग्य होगा उसे ही देखूंगा। जब उसका आगमन होगा तो तब खुद
देखूंगा अभी नहीं। अभी तो दिवाल को देखूं या फिर तुम्हें देखूं एक ही बात है।

ओशो कहते हैं कि नौ वर्ष बाद ऐसा एक व्यक्ति आया जिसकी प्रतिक्षा बोधिधर्म ने की थी।

उसने अपना एक हाथ काटकर बोधी थर्म की और रख दिया और कहा उनसे कहा जल्दी से इस ओर मुंह करो वर्ना जैसे हाट कटा है वैसे गर्दन भी काट कर रख दंगा।

फिर क्षण भर भी बोधी धर्मनने न गवाते हुए दिवाल की और से उस व्यक्ति की ओर घुम गए और कहने लगे तो
ऑँखिर कार तुम आ गए।

जो अपना सबकुछ मुझे देने को तैयार हरो वहीं मेरा संदेश झेल सकता है। और इस व्यक्ति को बोधी धर्म ने अपना महत्वपुर्ण संदेश दिया जो बुद्ध ने महाकश्यप को दिया था।

तो दोस्तों यह तो थी हमारी जानकारी लेकिन क्या आप भी बोधिधर्म के बारे में इतनी बातें जानते थे जिन्होंने चीन को कालारी पटू याने मार्शल आर्ट सिखाया था ।

हमें नीचे कमेंट करके बताएं कि आप भी बोधिधर्मन के बारे में जानते थे या नहीं।

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