शिवाजी महाराज से जुडी सबसे रोचक बाते | Facts About Shivaji Maharaj in Hindi
ओग बोलने से गन को शांति गिलती है।
राई बोलने रो मन को शक्ति निलती है।
राग बोलने से पाप से मुकति गिलती है।
कीक उसी तरह "जय शिवराय' बोलने से हो 100 शेरों की शकति गिलती है।
जी हा हन वात क हैं हमारे भारत की शान हमारे छत्रपति शिवाी महाराज की |
जिन्होंने अपने जौते जी मुरालो को पाणी पीता दिया था |
जो हमेशा अपने राहना अपनी नुद्धिमन्ता और महान योद्धा के रू में जाने जाते हैं ।
तो चलिए जानते है छत्रपति शिजी नहाराज से all-update.com पर पढ़ रहे है जुठी कुछ ऐसी आाते
जिनसे शायद ही आम वाकिफ होंगे|
शिवाजी महाराज (Shivaji maharaj) का जन्म 19 फरवरी, 1630 शिवनेरी दुर्ग में हुआ या, उनकी गाता का नाग जीजाबाई और पिता का नान शाहणी भोसते था|
शिवाी गाराज अमनी गाता की हर एक आज्ञा का मालन करते और उनकी गाता ने ही उन्हें बचमन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा दी थी।शिवाजी के व्यक्तिल में उनकी मां का अरार राबरो ज्यावा दिखाई देता है। जब कभी लोग शिवाी गढाराज की दीर गाधा गाते है उतने गें भी सबसे पहले उनकी गों का स्गरण होता है।
शिनाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी राजे भोराजे था लेकिन वो छतपति शिवाजी के नाम रो मशहूर हुए।
कहते हैं जिरा रामय पुरे उत्तर भारत पर मुगलों का राज था जिस रामय पुरा हिन्दू धर्म खतरे में था। जिस समय अधिकतर राजाओं ने मुचतों की अ्थीनता स्वीकार कर ली और ठीक उसी सनय भारत की ज हिन्दू र्वराज के लिए जतूकता तयार की एक विंगारी दक्षिण में जज रही भी गिसने भारत के लोगो वो थे हमारे शिवाी रा |
जम शिवाी राजे योड़े बड़े द्ुए जो जनके चिता ने उन्हें मुणे की जहीर सोम दी | लेकिन गहाराज को आदिन शाह की गुलामी नंखुर नहीं थी इसनिए गांन के लोगों को इकळा कर अपनी एक सेना बनाना शुरू कि | शिवा महाराज जानते में इनने कुछ कर गुजरने का जुनुन है इसलि नहाराज न उन्हे छाया मार युह्ध में कुशल अनाया | ओर सोला साल के उमर में ही अपना पहिला युद्ध जीता |
और शीरे धीरे कई गुद्ध जीतकर उन्होंने अ40 किल्ने जीन जीये लेकिन बाद में कुछ सामग बाद ही बीजापुर की ब़ी राहेना न अफजल रान को 10लजार सिफाई के राथ शिनाजी को हु्म दिगा। अफजत जान अपनी छरता और ताकत के लिए जाना जाता था |
उराने शिनाजी को मिलने का नैउता भैजा लेकिन महाराज पहले रो ही जानते थे की अफझल खान कुछ न कुछ राजिश जरूर केंगा | और जैरो ही वो अफ़ज़ल खान रो मिले अफज़ल खान न उन्हें गले लगाकर गारना चाहताता था और ती शिवनी ने भपने बाम नागा से उसका पेट ही फाड़ दाला | उराके वाद प्रताप गठ के किले में शिवाजी महाराज ने अफ़ज़ल सान की सोना को करारी हार देदी |
रान 1660 में आदिल शाह ने अपने रोनापति शिद्धि जोहर को हमता करने भेजा तव पन्हाला किल्ले को सिद्धि जोहर के सिफाइभ ने 4 और से मेर लिया तब गहाराज ने सिद्धिजोहर को गिलने का न्यूला दिया और जब यो मिले तो आदिल शाह की संदेश पर पढ़ रहे हैं भिजाया दिया की सिद्धि जोहर तुम्हारे से गारी कनरहा है।
और इसी विच आदिल शह और सिद्धि जोहर इनके विच लडाई छिड़ गयी जिसका फायदा उठाकर शिनाजी महाराज अपने 5000 रीनिक के राथ बहार निकल आए। और ताभ वाी प्रधु देशपांटे ने गुनलों को उलझाये रखा जिसे शवली गह़ाराज यह से सह कुशाल विशाल गढ़ पो गए जलेकिन बाजी प्रभ देशमा की इस यूह्ध गें माणों से हात धौने पढ़े। और आज भी वाजी भ देशपांडे को एक महान चोद्धा माना जाता है ।
फिर शिवजी महाराज का सामना औरंगज़ेब से हुआ| लेकिन महाराज ने औरंगज़ेब की सेना को भी तहस नहस करड़ाला | एक बार औरंगज़ेब ने अपने मिर्ज़ा राजा जयसिंग को अपने डेढ़़ लाख सैनिक के साथ शिवजी के साथ युद्ध करने भेजा जिसमे महाराज का पराजय हुआ लऔर उन्हें ओरंगजेब के पास लेकर जाए लेकिन महाराज ने उन्हें भी चकमा देकर निकल गए |
और आते ही उन्होंने चार महीनो के बिथर अपना बड़ा हिस्सा मुघलो से मुक्त करा लिया उसके बाद भी अफ़ज़ल खान ने कई प्रयास किए लेकिन हर बार पराजय हासिल हुआ |
शिवजी महाराज सिर्फ एक बहादुर राजा ही नहीं बल्कि एक योग्य प्रशासक भी थे उन्होंने धरम के आधार पर कभी किसी के साथ पक्क्ष बजी नहीं ली उनके एकै अधिकारी और अंग रक्षक तो मुस्लिम भी थे |यहाँ तक के युद्ध में हारे हुए दुशमन की बीवी को भी सम्मान के साथ वापस भेज दिया था|
गोरिला युद्ध, और नवेसना का निर्माण शिवजी महराज ने ही किया। लेकिन 52 साल की उम्र में उनका स्वर्ग वास् होगया | तब सबको लगा अब मराठा साम्राज्य ख़तम लेकिन all-update.com/ पर पढ़ रहे है फिर संभाजी महराज साम्राज्य संभाला |
हमें गर्व है हमने ऐसे स्थान में जन्म लिया जहा शिवजी महराज ,संभाजी महराज जैसे महान पुरुषो ने जनम लिया | दोस्तों उम्मीद करते है आपको हमारा यहाँ पोस्ट अच्छा लगा होगा| आने वाले पोस्ट में क्या देखना पसंद करेंगे कमेंट करकेजरूर बताए तब तब के लिए बाय बाय |
राई बोलने रो मन को शक्ति निलती है।
राग बोलने से पाप से मुकति गिलती है।
कीक उसी तरह "जय शिवराय' बोलने से हो 100 शेरों की शकति गिलती है।
जी हा हन वात क हैं हमारे भारत की शान हमारे छत्रपति शिवाी महाराज की |
जिन्होंने अपने जौते जी मुरालो को पाणी पीता दिया था |
जो हमेशा अपने राहना अपनी नुद्धिमन्ता और महान योद्धा के रू में जाने जाते हैं ।
तो चलिए जानते है छत्रपति शिजी नहाराज से all-update.com पर पढ़ रहे है जुठी कुछ ऐसी आाते
जिनसे शायद ही आम वाकिफ होंगे|
शिवाजी महाराज (Shivaji maharaj) का जन्म 19 फरवरी, 1630 शिवनेरी दुर्ग में हुआ या, उनकी गाता का नाग जीजाबाई और पिता का नान शाहणी भोसते था|
शिवाी गाराज अमनी गाता की हर एक आज्ञा का मालन करते और उनकी गाता ने ही उन्हें बचमन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा दी थी।शिवाजी के व्यक्तिल में उनकी मां का अरार राबरो ज्यावा दिखाई देता है। जब कभी लोग शिवाी गढाराज की दीर गाधा गाते है उतने गें भी सबसे पहले उनकी गों का स्गरण होता है।
शिनाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी राजे भोराजे था लेकिन वो छतपति शिवाजी के नाम रो मशहूर हुए।
कहते हैं जिरा रामय पुरे उत्तर भारत पर मुगलों का राज था जिस रामय पुरा हिन्दू धर्म खतरे में था। जिस समय अधिकतर राजाओं ने मुचतों की अ्थीनता स्वीकार कर ली और ठीक उसी सनय भारत की ज हिन्दू र्वराज के लिए जतूकता तयार की एक विंगारी दक्षिण में जज रही भी गिसने भारत के लोगो वो थे हमारे शिवाी रा |
जम शिवाी राजे योड़े बड़े द्ुए जो जनके चिता ने उन्हें मुणे की जहीर सोम दी | लेकिन गहाराज को आदिन शाह की गुलामी नंखुर नहीं थी इसनिए गांन के लोगों को इकळा कर अपनी एक सेना बनाना शुरू कि | शिवा महाराज जानते में इनने कुछ कर गुजरने का जुनुन है इसलि नहाराज न उन्हे छाया मार युह्ध में कुशल अनाया | ओर सोला साल के उमर में ही अपना पहिला युद्ध जीता |
और शीरे धीरे कई गुद्ध जीतकर उन्होंने अ40 किल्ने जीन जीये लेकिन बाद में कुछ सामग बाद ही बीजापुर की ब़ी राहेना न अफजल रान को 10लजार सिफाई के राथ शिनाजी को हु्म दिगा। अफजत जान अपनी छरता और ताकत के लिए जाना जाता था |
उराने शिनाजी को मिलने का नैउता भैजा लेकिन महाराज पहले रो ही जानते थे की अफझल खान कुछ न कुछ राजिश जरूर केंगा | और जैरो ही वो अफ़ज़ल खान रो मिले अफज़ल खान न उन्हें गले लगाकर गारना चाहताता था और ती शिवनी ने भपने बाम नागा से उसका पेट ही फाड़ दाला | उराके वाद प्रताप गठ के किले में शिवाजी महाराज ने अफ़ज़ल सान की सोना को करारी हार देदी |
रान 1660 में आदिल शाह ने अपने रोनापति शिद्धि जोहर को हमता करने भेजा तव पन्हाला किल्ले को सिद्धि जोहर के सिफाइभ ने 4 और से मेर लिया तब गहाराज ने सिद्धिजोहर को गिलने का न्यूला दिया और जब यो मिले तो आदिल शाह की संदेश पर पढ़ रहे हैं भिजाया दिया की सिद्धि जोहर तुम्हारे से गारी कनरहा है।
और इसी विच आदिल शह और सिद्धि जोहर इनके विच लडाई छिड़ गयी जिसका फायदा उठाकर शिनाजी महाराज अपने 5000 रीनिक के राथ बहार निकल आए। और ताभ वाी प्रधु देशपांटे ने गुनलों को उलझाये रखा जिसे शवली गह़ाराज यह से सह कुशाल विशाल गढ़ पो गए जलेकिन बाजी प्रभ देशमा की इस यूह्ध गें माणों से हात धौने पढ़े। और आज भी वाजी भ देशपांडे को एक महान चोद्धा माना जाता है ।
Shivaji maharaj
और आते ही उन्होंने चार महीनो के बिथर अपना बड़ा हिस्सा मुघलो से मुक्त करा लिया उसके बाद भी अफ़ज़ल खान ने कई प्रयास किए लेकिन हर बार पराजय हासिल हुआ |
शिवजी महाराज सिर्फ एक बहादुर राजा ही नहीं बल्कि एक योग्य प्रशासक भी थे उन्होंने धरम के आधार पर कभी किसी के साथ पक्क्ष बजी नहीं ली उनके एकै अधिकारी और अंग रक्षक तो मुस्लिम भी थे |यहाँ तक के युद्ध में हारे हुए दुशमन की बीवी को भी सम्मान के साथ वापस भेज दिया था|
गोरिला युद्ध, और नवेसना का निर्माण शिवजी महराज ने ही किया। लेकिन 52 साल की उम्र में उनका स्वर्ग वास् होगया | तब सबको लगा अब मराठा साम्राज्य ख़तम लेकिन all-update.com/ पर पढ़ रहे है फिर संभाजी महराज साम्राज्य संभाला |
हमें गर्व है हमने ऐसे स्थान में जन्म लिया जहा शिवजी महराज ,संभाजी महराज जैसे महान पुरुषो ने जनम लिया | दोस्तों उम्मीद करते है आपको हमारा यहाँ पोस्ट अच्छा लगा होगा| आने वाले पोस्ट में क्या देखना पसंद करेंगे कमेंट करकेजरूर बताए तब तब के लिए बाय बाय |
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